प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर, 2014 को मेक इन इंडिया अभियान की शुरुआत की , मेक इन इंडिया भारत सरकार का एक प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसमें निवेश को बढ़ावा देने, नवीनीकरण को बढ़ावा देने, कौशल विकास को बढ़ाने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में सर्वश्रेष्ठ निर्माण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए डिज़ाइन किया गया है।
रक्षा उत्पादन और निर्यात प्रोत्साहन नीति 2020 के अनुसार सरकार का 2025 तक 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य है।
विश्व की शीर्ष 100 रक्षा कंपनियां जिनमें भारत की तीन कंपनियां शामिल है हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेडके रक्षा उपकरणों को निर्यात करने में शामिल है।
वर्तमान में भारत का दुनिया का रक्षा निर्यात केवल 0.2% है जो भारत की क्षमता से काफी कम है हालांकि भारत ने 2015 और 2021 के बीच पिछले सात वर्षों में 38,500 करोड़ रुपये के सैन्य हार्डवेयर और सिस्टम का निर्यात किया है।
भारत की रक्षा खरीद में आई 33% की कमी आई है और रक्षा उपकरणों निर्यात के मामले में भारत ने 2015 से 2020 के बीच कई देशों के साथ 304 रक्षा अनुबंध पर हस्ताक्षर किए है।
रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता विकसित करने के लिए भारत अगले 5 वर्षों में 130 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बनाई है जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था में रक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने निजी क्षेत्र को भी बढ़ावा दिया है।
2018-19 में निजी कंपनियों का वार्षिक कारोबार 2.4 बिलियन था जिसका लक्ष्य 5 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है, घरेलू कंपनियों ने भी 2025 तक अपनी रक्षा खरीद को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
रक्षा उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारत ने डिफेंस कॉरिडोर की शुरुआत की है जिसमें कई राज्यों में उन्होंने डिफेंस उपकरणों के लिए फैक्ट्री खोली है जैसे तमिलनाडु में ,लखनऊ में भी हाल में ही ब्रह्मोस मिसाइल का प्लांट लगाया है और तमाम क्षेत्रों में रक्षा ही नहीं इलेक्ट्रॉनिक जैसे उपकरणों में भी भारत ने कई बड़े-बड़े प्लांट स्थापित किए हैं और उनका उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर बनाना और भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।
ब्रह्मोस का निर्यात रक्षा उपकरणों का शुद्ध निर्यातक बन सकता है हाल ही में भारत ने फिलीपींस देश के साथ ब्रह्मोस मिसाइल का सौदा 375 मिलियन डॉलर में किया है और वियतनाम थाईलैंड अन्य देशों के साथ चर्चा जारी है तेजस फाइटर जेट में मलेशिया और अमेरिका ने भी दिलचस्पी दिखाई है और इसको लेकर भी बात चल रही है।
हाल ही में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने उन्नत हल्के हेलीकाप्टरों के निर्यात के लिए मॉरीशस के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए है।
भारत के रक्षा निर्यात से विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा
मेक इन इंडिया के तहत बनाए जाने वाली ट्रेन -18 वंदे भारत एक्सप्रेस, कोरोना वैक्सीन, मेट्रो कोच, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस, AK-203 राइफलें और तमाम चीजें मेक इन इंडिया अभियान का हिस्सा है और वह देश के अंदर विकसित हो और देश आत्मनिर्भर बने। ऐसा मेक इन इंडिया आत्मानिर्भर भारत अभियान का उद्देश्य है मेक इन इंडिया इंडस्ट्री ,ऑटोमोबाइल, कमर्शियल सेक्टर, डिफेंस सेक्टर पर भी फोकस कर रहा है।
मेक इन इंडिया के तहत निर्यात को बढ़ावा देने और देश के भीतर विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने के साथ-साथ देश को आज अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में मजबूती के साथ रोजगार के अवसर पैदा करना और देश को प्रगति की ओर ले जाना उद्देश्य है। मेक इन इंडिया भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए रक्षा क्षेत्र में बहुत अधिक ध्यान दे रहा है ताकि भारत अन्य देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर सके और अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ा सके साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि कर सके।
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