वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू 2021 के अनुसार, दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश संयुक्त राज्य अमेरिका है, उसके बाद चीन, रूस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम हैं।
सुपर पावर सर्वेक्षण में देशों को पांच मानदंडों के आधार पर रैंक किया जाता है।
· जनसंख्या और क्षेत्र
· संसाधन की बंदोबस्ती
· आर्थिक क्षमता
· राजनीतिक स्थिरता
· सैन्य ताकत
एक दशक पहले भारतीय जीडीपी दुनिया में ग्यारहवें स्थान पर थी, 2022 अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के ताजा आंकड़ों के मुताबिक आज भारत की अर्थव्यवस्था ब्रिटेन से आगे निकल गई है जिससे यह विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है।
2022 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं, और कई अर्थशास्त्रियों ने 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का दावा किया है, हालांकि भारत बड़े पैमाने पर सामाजिक,आर्थिक और राजनैतिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।
हालाकिं एशियाई शक्ति संतुलन के बीच भारत की ताकत इसकी रणनीतिक स्थिति को दर्शाता हैं भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भारत के साथ मिलकर काम कर रहा हैं, बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए भारत महानगरीय शहरों को विकसित करने के लिए कई बड़े पैमाने की मेगा परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है,11 कॉरिडोर परियोजनाओं के अलावा, यह नए मेगा बंदरगाहों के निर्माण और 14 तटीय आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए $116 मिलियन मूल्य की 'भारतमाला' और 'सागरमाला' परियोजना नामक $75 बिलियन के राष्ट्रीय राजमार्ग और रोडवेज कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
भारत ने पिछले तीन दशकों में अपने रक्षा व्यय बजट को अपने सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत आवंटित किया है। इस वजह से देश का रक्षा बजट और उसकी अर्थव्यवस्था आसमान छू रही है।
अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट भारत का है।, 2019 में, भारत ने अपनी सेना पर 71 बिलियन डॉलर खर्च किए थे, जो एक दशक पहले के बजट से लगभग दोगुना है।
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, इसके पीछे कई कारक हैं, भारत में उपभोक्ता मांग बढ रही हैं बड़े ,उद्योग का विकास, डिजिटल विकास तेजी से हो रहा है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट का तेजी से विकास हो रहा हैं।
फेसबुक, गूगल, एप्पल ,टेस्ला व्यापक स्तर पर भारत में निवेश करने के इच्छुक हैं और अधिकांश विशेष रूप से बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भारतीय हैं और आईएमएफ,विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र में भारतीयों की मौजूदगी देखी जा सकती है।
हालांकि बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा तेजी से आर्थिक विकास और तकनीक की ओर ले जाती है
आज विश्व के तमाम देश भारत को उभरती हुई अर्थव्यवस्था व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक बड़े बाजार के रूप में देख रहे हैं चाहे फिर G-7 हो या फिर G-20 हो इन तमाम विकसित देशों के समूह में भारत की मौजूदगी इस बात की गवाही देती है कि भारत आने वाले समय में व्यापक स्तर पर खुद को विकसित करते हुए एशिया महाद्वीप में ही नहीं बल्कि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था व ताकतवर देश के रूप में उभारेगा।
हालाँकि भारत की निर्भरता अन्य देशों पर काफी है, विशेष रूप से चीन से हमारा व्यापार घाटा $ 50 बिलियन डॉलर तक है, तब भी हम चीन से बहुत सी चीजें खरीदते हैं ऐसे में हमें अपनी निर्भरता चीन से कम करनी होगी, अपने देश में उत्पादन बढ़ाना होगा, मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों पर काम करना होगा, आयात की निर्भरता कम और निर्यात ज्यादा करना होगा तभी भारत एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभर सकता है और जब हमारी स्थिति मजबूत होगी तब हमें सुपर पावर बनने से कोई नहीं रोक सकता।
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