जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व में बढ़ते खतरे के संकेत!

जलवायु परिवर्तन के कारण बीते कुछ सालों में दुनिया के कई हिस्सों में आ रहे बदलाव हैरान और चिंतित कर रहे हैं  विश्व भर में भारी तबाही देखने को मिल रही है कहीं मौसम में बदलाव कहीं भारी वर्षा,गर्मी,बाढ़,सूखा,तूफान,जंगलों में बढ़ती आग जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व के कई हिस्सों में कई बड़ी घटनाएं देखने को मिली।

दुनिया भर के विभिन्न हिस्सों में जलवायु परिवर्तन का अलग-अलग प्रभाव पड़ रहा है। कुछ स्थान दूसरों की तुलना में गर्म हो रहे हैं, कुछ में अधिक भारी वर्षा हो रही है, और विश्व के कई हिस्सों में जंगलों में भीषण आग देखने को मिल रही है और कहीं सूखे का सामना करना पड़ रहा है।

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जलवायु परिवर्तन के कारण कई आपदाएँ के दृश्य

हुईं, वैश्विक जलवायु परिवर्तन जोखिम सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़, गर्मी की लहरों, चक्रवातों, भारी बर्फबारी, सूखे, वनों की कटाई, उच्च तापमान के कारण जंगल मे भीषण आग जैसी घटनाएं उत्पन्न हो रही है जलवायु परिवर्तन की चरम घटनाओं में दुनिया भर में 4.75 लाख से अधिक लोग मारे गए। दुनिया भर में 2000 से 2019 के बीच जंगल की आग में 10 अरब जानवरों की मौत हो गई, लाखों लोग प्रभावित हुए और 2.56 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का नुकसान हुआ हैं।

दुनिया भर में कई जगहों पर जंगल की आग तेजी से बढ़ रही है। अमेरिका, कनाडा, तुर्की, साइबेरिया, भारत, रूस, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया आदि उच्च तापमान से प्रभावित हैं।

अमेरिका की भूमि सूखे और पानी की कमी से प्रभावित हैं।

बाढ़, गर्मी की लहरें, हिमपात उच्च तापमान सूखा और पानी की कमी का भी दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों को सामना करना पड़ रहा है।

अंटार्कटिका में हिमखंड तेजी से पिघल रहे हैं।

अंटार्कटिका जैसे ठंडे इलाके में बर्फ के पहाड़ बड़ी तेजी से पिघल रहे है जिससे समुंदर का जलस्तर बढ़ रहा है और पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है। वर्ष 2022 मार्च के महीने में अंटार्टिका जैसे ठंडे बर्फीले इलाके में तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच गया यह अपने आप में मानव जाति के लिए चिंता का बहुत बड़ा संकेत है।

अंटार्कटिका हिमपात में माइक्रोप्लास्टिक की खोज

इसी वर्ष जून के महीने में अंटार्कटिका में बर्फबारी में माइक्रो प्लास्टिक पाई गई है जो कि हमारे इकोसिस्टम के लिए बहुत ही खतरनाक है माइक्रो प्लास्टिक छोटे कणों में होती है जो 5 मिली मीटर से कम होती है ,इससे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और मृदा प्रदूषण बढ़ेगा और खाद्य श्रृंखलाओं का जीवन जो समुद्र में प्रजातियां हैं, इससे बुरी तरह प्रभावित होंगी।

हाल ही में केदारनाथ और बद्रीनाथ में बहुत ज्यादा संख्या में श्रद्धालु गए और वहां बहुत सारा कचरे का अंबार छोड़ गए हैं जो की प्लास्टिक के रूप में है और अब तक केदारनाथ से 40 क्विंटल से ज्यादा प्लास्टिक कचरा एकत्रित किया जा चुका है।

किस तरीके से हम प्राकृतिक सौंदर्य को प्रदूषित कर रहे हैं और अपने जीवन को खतरे में डाल रहे हैं

वर्ष 2022 जनवरी के महीने में सहारा रेगिस्तान में बर्फबारी देखी जा सकती है। बर्फबारी के कारण तापमान में गिरावट के बावजूद यह दुनिया का सबसे बड़ा गर्म रेगिस्तान है।

आईपीसीसी व अन्य रिपोर्ट के अनुसार

वर्ष 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक आईपीसीसी (जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल संयुक्त राष्ट्र का एक अंतर सरकारी निकाय है) जिसके अनुसार 2030 तक पृथ्वी का तापमान 1.5 सेल्सियस तक बढ़ जाएगा और समुद्र का जलस्तर 2 मीटर बढ़ जाएगा। पृथ्वी जितनी ज्यादा गर्म होगी उतनी ही आपदाएं की घटनाएं देखने को मिलेंगी यह प्राकृतिक आपदाएं नहीं है बल्कि मानव  निर्मित आपदाएं साबित होंगी।

जलवायु परिवर्तन का भारत पर कितना असर

वर्ष 2021 की वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार भारत को जलवायु परिवर्तन प्रभावों के साथ सातवां सबसे अधिक प्रभावित देश बताया गया है।

डेलॉयट इकोनॉमिक्स इंस्टीट्यूट के अनुसार, भारत को 2050 तक छह ट्रिलियन डॉलर के आर्थिक नुकसान की चेतावनी दी है, अगर भारत पांच प्रमुख क्षेत्रों सेवाओं, विनिर्माण, खुदरा, पर्यटन और परिवहन में जलवायु परिवर्तन के लिए कोई निर्णायक कदम नहीं उठाता है  तो  2050 तक शीर्ष 5 क्षेत्रों में 6 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान देखा जा सकता है, इन क्षेत्रों पर भारत की 80% जीडीपी निर्भर है।

असम में भारी बारिश के कारण बाढ़ का आना और भूस्खलन होना।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर से अक्टूबर 2021 के बीच, भारत में 125 अत्यंत भारी वर्षा की घटनाएं देखी गईं जोकि पांच वर्षों में सबसे अधिक रही। वर्षा 204.4 मिमी के निशान को पार करने पर इसे 'बेहद भारी' माना जाता है।

हाल ही में असम राज्य में भारी बारिश के कारण बाढ़ आई है जिसमें लगभग 20 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और 63 से अधिक लोग मारे गए हैं और इस बाढ़ के कारण पूरी तरह से लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है और इससे पहले वर्ष 2021 हमने चेन्नई, केरल, उत्तराखंड, मुंबई,पश्चिम बंगाल ,मेघालय ,असम, सिक्किम ,आंध्र प्रदेश ,उड़ीसा ,उत्तर प्रदेश ,बिहार जैसे राज्यों में भारी बारिश के कारण भीषण बाढ़ की घटनाएं देखी हैं, यह इस बात का संकेत है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ रही हैं।

2021 में, चक्रवाती तूफान, अचानक बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने से भारत में 5.04 मिलियन हेक्टेयर फसल क्षेत्र नष्ट हो गयी।

आईपीसीसी ने "बहुत उच्च आत्मविश्वास" के साथ कहा कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ों में बाढ़ और भूस्खलन आपदाएं, उत्तराखंड में 7 फरवरी 2021 को एक ग्लेशियर के टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा घाटियों में अचानक बाढ़ आ गई। इस आपदा में 200 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। गर्मी के चरम में वृद्धि हुई है जबकि ठंडे चरम में कमी आई है, और ये रुझान आने वाले दशकों में एशिया में जारी रहेंगे। यह पहली बार है जब आईपीसीसी ने क्षेत्रीय फैक्टशीट जारी की है।

जलवायु परिवर्तन कोई परिवर्तन नहीं है, यह पूरी दुनिया और मानवता के लिए एक वैश्विक संकट है।

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