आज बड़े पैमाने पर वैश्वीकरण के कारण हमारे खान-पान में भी परिवर्तन आए हैं और हम उनसे प्रभावित भी हो रहे हैं भारत में पश्चिमी खानपान का सेवन बड़े व्यापक स्तर पर देखा जा सकता है और भारत की युवा पीढ़ी पश्चिमी तौर तरीके और खान पान की ओर बढ़ती व आकर्षित होती जा रही है, आज फास्ट फूड के सेवन के कारण युवा पीढ़ी मोटापे व कम उम्र के बच्चे भी ज्यादा उम्र के दिखाई देते हैं।
भारत का स्वास्थ्य संकट
लैंसेट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल लगभग 15 लाख से अधिक लोगों की मौते अस्वस्थ खान-पान के सेवन से होने वाली बीमारियों के कारण होती है।
दुनिया में आहार से संबंधित मृत्यु दर पर 'लैंसेट' पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में भारत मे अस्वस्थ आहार के कारण सबसे ज्यादा मौतों के साथ चीन के बाद दूसरे स्थान पर है,वास्तव में फास्ट फूड भोजन के सेवन के मामले में भी भारत संयुक्त राज्य अमेरिका से कहीं आगे है।
फास्ट फूड मैदा से बने खाने की चीजें हर जगह होती हैं। साथ ही ये खाद्य पदार्थ स्वादिष्ट होते हैं, जिससे इनसे दूर रहना और भी मुश्किल हो जाता है। बर्गर, पिज्जा, मोमोज, हॉट डॉग, चाउमीन, नूडल्स वेज रोल, छोले भटूरे, समोसा आदि जैसे फास्ट फूड हमारे दिनचर्या खान पान का हिस्सा बन गए हैं। आज चाहे स्कूल,कॉलेज या फिर ऑफिस हो हम वहा ज्यादातर कैंटीन में फास्ट फूड का सेवन करना पसंद करते हैं और जब कभी भी लोग मॉल या मार्केट जाते हैं तो वो भी फास्ट फूड का सेवन करना ज्यादा पसंद करते है और हम इन व्यंजनों से ही अपना पेट भर लेते हैं।
हम पोष्टिक व स्वस्थ आहार छोडकर फास्ट फूड की और तेजी से बढ़ हैं और अपने स्वास्थ्य को बिमारीयों के हवाले कर रहे हैं।
फास्ट फूड खाने से स्वास्थ्य को नुकसान
फास्ट फूड ज्यादातर मैदा द्वारा बनाए जाते हैं, जो की हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं हैं मैदा खाने से आपका खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) भी बढ़ता है, आपको मोटा बनाता है, धमनियों को बंद करता है, रक्तचाप बढ़ाता है, रक्त शर्करा को बाधित करता है, आपको भूखा रखता है
फास्ट फूड खाने से कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ता है,अतिरिक्त कैलोरी वजन बढ़ने का कारण बनता है। यह मोटापे की ओर ले जाता है, मोटापा अस्थमा और सांस की तकलीफ सहित सांस की समस्याओं के जोखिम को बढ़ाता है।
स्वस्थ जीवन के लिए संतुलित आहार लेना चाहिए जो आपको सभी पोषक तत्व प्रदान करे, साथ ही किसी तरह का व्यायाम भी जरूरी है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रोजाना कम से कम 30-40 मिनट पैदल चलना चाहिए।
रिफाइंड तेल के सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव
ज्यादातर बाजार में बिकने वाली खाद्य सामग्री फास्ट फूड और अन्य फूड रिफाइंड तेल में ही बनाए जाते है रिफाइंड और तेलों के मुकाबले सस्ता भी होता है परंतु स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी लाभदायक नहीं है बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए एक जहर का कार्य करता है जो धीरे-धीरे हमारे स्वास्थ्य को खराब करता है।
हालांकि कई शोध में रिफाइंड तेल को लेकर चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं,रिफाइंड तेल को बनाने में कई प्रकार के केमिकल का भी इस्तेमाल किया जाता है,लेकिन देश के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ एस सी मनचंदा ने इस पर एक शोध किया है।
देश के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एससी मनचंदा गंगाराम अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार के पद पर कार्यरत हैं उनका कहना है कि हर तेल में पोषक तत्व होते हैं जो गर्म करने से नष्ट हो जाते हैं, उन्होंने 2012 में रिफाइंड तेल पर एक शोध किया था और जिसमें कई चौंकाने वाले परिणाम देखने को मिले हैं, डॉ मनचंदा ने रिफाइंड तेल के उपयोग पर अपनी रिपोर्ट में बताया कि रिफाइंड तेल को रिफाइन करने के लिए इसे दो-तीन बार 200 डिग्री से ऊपर गर्म किया जाता है जिससे तेल में जहरीले उत्पाद पैदा हो जाते हैं, जिसे हम ट्रांस फैट भी कहते हैं,जिसके सेवन से मधुमेह, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियां भी हो सकती है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित फ्रांस और स्पेन के दो नए अध्ययनों से पता चला है कि फास्ट फूड खाने से हृदय रोग और प्रारंभिक मृत्यु में वृद्धि हुई है।
आज युवा ज्यादातर दिल की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं हम अपने आस देख सकते हैं कि युवा पीढ़ी कम उम्र में दिल की बीमारियों के रोगी बनकर अपनी मौत से हाथ धो रहे हैं।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) और डाउन टू अर्थ पत्रिका द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 70% भारतीय स्वस्थ आहार नहीं लेने के कारण हर साल 1.7 मिलियन लोग फास्ट फूड के कारण होने वाली बीमारियों से मर जाते हैं।
स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरनमेंट 2022 रिपोर्ट के अनुसार मौतें आहार संबंधी जोखिम कारकों के कारण होती हैं, जिनमें श्वसन संबंधी बीमारियां, मधुमेह, कैंसर, स्ट्रोक और हृदय रोग शामिल हैं।
भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है जहां सबसे ज्यादा फास्ट फूड खाने के कारण होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों से होती है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार अस्वस्थ भोजन (फास्ट फूड) खाने के कारण मोटापा और उच्च रक्तचाप, हृदय रोग मधुमेह, दिल का दौरा, कैंसर आदि जैसी बीमारियां फास्ट फूड के खाने से जुड़ी हैं, 30 लाख से अधिक मौतें भारत में हर साल दिल की बीमारियां के कारण होती है जिसमें औसतन 55 साल की उम्र से भी कम के लोग होते है।
विशेषज्ञों के अनुसार अस्वस्थ जीवन शैली और अस्वस्थ आहार काफी हद तक सेहत की खराबी के लिए जिम्मेदार है, फास्ट फूड पाचन क्रिया को कमजोर करता है और बीमारियों का घर बनाता है।
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान समय में भारत में 12 में से 1 व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है और हर साल 3 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु भारत में मधुमेह के कारण हो जाती है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत मे हर 4 में से 1 व्यक्ति अधिक वजन का है, यानी मोटापे का शिकार है, भारत की लगभग 25% आबादी मोटापे से ग्रस्त है।
NSSO की रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्रों में मोटापे की समस्या लोगों में 33 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मोटापे की समस्या 20 % की दर से बढ़ रही है लगभग भारत की 5% आबादी अस्वस्थ व मोटापे की समस्या से जूझ रही है।
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